Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -02-May-2022 - प्रभात


प्रभात ने फैलाई लालिमा , 
छुपती रही यहाँ कालिमा |
भोर हुई तो चिड़िया बोली 
सारे जग ने आंखें खोली |
निकलता सूरज मद्धम मद्धम , 
फैली किरणें कदम दर कदम |
दिनचर्या शुरू हुई सब की ,
याद आई सबको रब की |
मंदिरों के घंटे बजने लगे ,
लोग सैर को भी जाने लगे |
नवयौवनाओं  ने ली अंगड़ाई ,
सजन ऑफिस की घड़ी आई | 
चूल्हा चौका संभाला जब से, 
नींद पूरी हुई नहीं तब से |
सारा दिन अब व्यस्त रहेंगे ,
मस्त हैं हम यही बस कहेंगे |
मुस्कान का आवरण बना ,
छोड़ेंगे हम अब अंधेरा घना |
प्रभात बेला की बात ही निराली, 
आओ पियो तुम चाय की प्याली |
धूप से चेहरा रौनक होगा ,
अथरों पर न पहरा होगा |।


प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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14 Comments

Shrishti pandey

03-May-2022 09:21 PM

Very nice

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Abhinav ji

03-May-2022 08:47 AM

Nice

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Swati chourasia

03-May-2022 07:14 AM

बहुत खूब 👌

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